ش | ی | د | س | چ | پ | ج |
1 | 2 | |||||
3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 |
10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 |
17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 |
24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 |
31 |
مست از سکوتِ شبانه و هوایِ عاشقانه و افکارِ دلبرانه ام گویی که جامِ دل پُر است .. از قطره هایِ دلِ تو توئی که جز خیالِ من .. نداری هیچ کجا پناه توئی که خیالِ من .. پرُ شده از خیالِ تو ( خیالات بَرَم داشته .. نخندید به من و دلم .. شمائی که عاقلید ) ( بگذارید خوش باشم با خیالاتِ شیرینم )